Maa Brahmacharini | second day of Navratri 2023 – dusra Navratri 2023 

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Maa Brahmacharini | second day of Navratri 2023 – dusra Navratri 2023 
Maa Brahmacharini | second day of Navratri 2023 – dusra Navratri 2023 

Maa Brahmacharini | माँ ब्रह्मचारिणी | About Maa Brahmacharini | Maa Brahmacharini significance

Maa Brahmacharini – माँ ब्रह्मचारिणी एक हिंदू देवी हैं और नवदुर्गा में से एक हैं, जो देवी पार्वती के नौ रूपों का एक समूह है, जिन्हें दुर्गा के नाम से भी जाना जाता है। उनकी पूजा नवरात्रि उत्सव के दूसरे दिन की जाती है, एक हिंदू त्योहार जो नौ रातों तक चलता है और देवी दुर्गा और उनके विभिन्न रूपों की पूजा के लिए समर्पित है। Maa Brahmacharini matlab”ब्रह्मचारिणी” नाम दो शब्दों से बना है: “ब्रह्मा”, जो सर्वोच्च ब्रह्मांडीय शक्ति को संदर्भित करता है, और “आचारिणी”, जिसका अर्थ है अभ्यास या पालन करने वाली। इस प्रकार, Maa Brahmacharini को अक्सर एक देवी के रूप में चित्रित किया जाता है जो तपस्या, भक्ति और सर्वोच्च सत्य की खोज के गुणों का प्रतीक है।

Maa Brahmacharini, माँ ब्रह्मचारिणी को आमतौर पर हाथों में माला और पानी का बर्तन (कमंडलु) पकड़े हुए एक युवा महिला के रूप में दर्शाया जाता है। उन्हें अक्सर नंगे पैर चलते और सफेद या केसरिया रंग की पोशाक पहने हुए दिखाया जाता है। माना जाता है कि उनकी पूजा से उनके भक्तों को शक्ति, धैर्य और अटूट संकल्प मिलता है। हिंदू पौराणिक कथाओं में, यह कहा जाता है कि Maa Brahmacharini, मां ब्रह्मचारिणी ने भगवान शिव का प्यार और हाथ पाने के लिए गहन तपस्या की और उनकी भक्ति और समर्पण के कारण अंततः उनका उनसे मिलन हुआ। उनकी कहानी आध्यात्मिक सत्य के चाहने वालों और उन लोगों के लिए प्रेरणा का काम करती है जो भक्ति और अनुशासन के माध्यम से आत्म-साक्षात्कार प्राप्त करना चाहते हैं।

Maa Brahamacharini ki katha | माँ ब्रह्मचारिणी की कथा | Maa Brahmacharini vrat katha | Maa Brahmacharini story | Maa Brahmacharini significance

Maa Brahamacharini ki katha – मां ब्रह्मचारिणी मां दुर्गा का नव शक्ति का दूसरा स्वरूप है। यहां ब्रह्म का अर्थ तपस्या से है, मां दुर्गा का ये स्वरूप भक्तों को अन्नत फल देने वाला है। इनकी तपस्या से सदाचार, सत्य, संयम की सिद्धि होती है। ब्रह्मचारिणी का अर्थ अर्थात तप की चारिणी अर्थात तप का आचरण करने वाली देवी का ये रूप पूर्ण ज्योति में अत्यंत भव्य है। इस देवी के साये हाथ में जप की माला है और बाये हाथ में कमंडल धारण किया हुआ है। पूर्व जन्म में इस देवी ने हिमालय के घर पुत्री के रूप में जन्म लिया, और नारग जी के उपचार से शिव जी को पति के रूप में पाने के लिए घोर तपस्या की, इस कारण इन्हें भ्रमरचारिणी के नाम से जाना जाता है। 1000 साल तक इन्हें केवल फल खाएं और 100 साल तक जमीन पर सोयी और कुछ दिन तक उपवास रखा और खुले आकाश के नीचे वर्षा और धूप के घोर कष्ट सहे। 3000 वर्ष तक टूटे हुए बेल पत्र खाए और भगवान शंकर की आराधना करती रही। इसके बाद तो इन्हें सुखे भेल पत्र खाने छोड़ दिए। कयी 1000 वर्ष तक निर्जल और निराहार रहकर तपस्या करती रही। इनका नाम अपर्णा भी है, कथिन तपस्या के करण इनका शरीर शीन हो गया। सभी देवो ने इनकी तपस्या की सराहना की और कहा कि देवी आज तक किसी ने ऐसी घोर तपस्या नहीं की। तुम्हारी मनोकामना पूरी होगी और भगवान शिव तुम्हें पति रूप में प्राप्त होंगे, अब तपस्या छोड़ कर घर लौट जाओ। जल्दी ही तुम्हारे पिता तुम्हें बुलाने आ रहे हैं। ऋषि बोले प्राचीन काल में देवी देवताओं में और दैत्यों में शुद्ध 100 वर्ष का युद्ध होता रहा। हमें समय दैत्यों का स्वामी, मंशासुर और देवताओं का इंद्र। हमारे संग्राम में देवताओं की सेना दैत्यो से हार गई, तब सभी देवताओं को जीत कर महेशासुर इंद्र बन्न बैठा, तब हर कर सभी देवता ब्रह्मा जी को अग्रणी बनकर वहां गए जहां विष्णु जी और शिव जी विराज रहे थे। वहां पर देवताओं ने महेशासुर के सभी उत्थान और अपने प्रभाव आदि की कहानी सुनी। उनको कहा महेशासुर ने वरुण, सूर्य, अग्नि, पवन, चंद्रमा आदि सभी देवताओं के अधिकार छीन लिए हैं, उन्होंने सभी देवताओं को स्वर्ग से निकाल दिया। महेशासुर एक आत्मा है, देवता पृथ्वी पर मृत्यु की विचल रहे हैं, उसके वध का कोई उपाय कीजिए।

इस प्रकार मधुसूदन और महादेव जी ने देवताओं के वचन सुने और क्रोध से उनकी बोहे तन गई, तब भगवान विष्णु के मुख से एक तेज प्रकट हुआ। इसी प्रकार ब्रह्मा जी और शिव जी के मुख से महा तेज प्रकट हो उठा। सभी तेज मिलकर एक हो गए। वे तेज इतना उग्र था, जैसे कि जलता हुआ पहाड़ हो, देवताओं ने देखा उसकी ज्वालाएं सभी दिशाओं में फैल रही हैं, जब वे एक हुआ तो नारी के रूप में आ गया, महादेव के तेज से उसका मुख प्रकट हुआ, विष्णु के तेज से उसकी भुजायें प्रकट हुई, यम के तेज से उसके केश हुए, चंद्रमा से दोनों स्थिति, इंद्र के तेज से उसकी कटी प्रदेश, वरुण के तेज से उसका उरुजल और झंगे, पृथ्वी के तेज से नितोभो का प्रकट हुआ, ब्रह्मा के तेज से ओनो चरण और सूर्य के तेज से चरणो की उंगली वासो की तेज से हाथो की उंगली, कुबेर के तेज से नासिका का अभिभाव हुआ। उसके दांत प्रजापति के तेज से प्रकट हुए, अग्नि के तेज से 3 नेत्र प्रकट हुए, संध्याओं के तेज से दोनों भोहे और वायु के तेज से दोनों काण उत्पन्न हुए, इसी प्रकार समस्त देवो के तेज से एक भगवती का प्रादुर्भाव हुआ। शिव जी ने अपना त्रिशूल प्रकट हुई देवी को दे दिया, विष्णु जी ने अपना दर्शन चक्र प्रकट करके दिया, वरुण ने शंख और अग्नि ने उन्हें शक्ति दी, मरुग ने उन्हें धनुष दिया और वाणी से भारपुर दो कारकस दिये। देव राज इंद्र ने अपने वज्र से दो वज्र प्रकट दिए और इंद्र ने एक घंटा दिया, यमराज ने काल दंड से दंड प्रधान किया, सागरपति ने रुद्राक्ष दिया, ब्रह्मा ने कमंडल दिया, सूर्य ने वती के रोम को अपनी किरण प्रदान की, काल ने तलवार और उत्तम ढाल अर्पण की, शिवसागर ने हार और कभी पुराने होने वाले दो वस्त्र प्रधान की, इसी प्रकार चूड़ामणि, दिव्या कुंडल और दो कड़े भी भेंट किये तथा चमकता हुआ अर्धचंद्र, सभी भुजाओं के लिए बजबंद और चरणों के लिए नूपुर और कंठ के लिय सर्वोत्तम कंठ बेंट किआ।
Jai Maa Brahmacharini !

इस प्रकार सभी उंगलियों के लिए जदीद मुद्राएं प्रधान की, निर्मल पशु का उपहार दिए गए और अनेक अस्त्र अभेद मस्तक और गले में धारण करने के लिए कमलो की माला उपहार दिया गया। हिमालय ने वहां के लिए सिंह और भी अनेक प्रकार के रतन दिए। कुबेर ने सुरो से भरपुर पत्र दिया, पृथ्वी धरण करने वाले शेष ने महा मनियो से सुशोभित नाग हार दिया, इसी प्रकार सारे देवताओं और भी भूषण देते हुए, देवी का सत्कार किया। तत्पश्चात भगवती ने ऊंचे स्वर से गर्जना की, उसके भयानक नर ने सारा आकाश भर दिया, सभ देवगुण प्रसन्न होके हमें देवी की जय जय कारने लगे। मुनियो ने भक्ति भाव से नम्र होके देवी की स्तुति की, इदर देवताओ के शत्रुओं ने सारी त्रिलोकी को शोग्रसत देखा तभी अपनी सारी सेना को कावाज और अस्त्र शास्त्र देकर झट खड़े हुए। महेशासुर क्रोध में आकर बोला अरे ये क्या कर रहे हो, इतना कहकर वे देवो की और भगवान ला और उसने त्रिलोको को अपने तेज से प्रकाशित किया हुआ देवी को देखा। उस देवी के चरणों से भार से पृथ्वी धाबी जा रही थी, और आकाश पे रेखाएं पढ़ती जा रही थी, उसके धनुष की टंकार से 7 पाताल शोकग्रस्त और 1000 हुजाओ से सभी दिशाओं को धाक कर देवी खड़ी थी। देवी जी के स्थ उन दैत्यों का युद्ध प्रारम्भ हो गया, कर के ज्योतिष से दसो दिशाएं भर गईं। महेशासुर का सेनापति हमारे समय चचूर नाम का एक महान दैत्य था, देवी जी के साथ उनका युद्ध होने लगा।
Jai Maa Brahmacharini !

7000 अर्थियो को लेकर महादैत्य भी प्रकट हो गया, महानुदैत्य 5000 करोड़ की आर्थियो को लेकर युद्ध में आ गया, 7 लाख आर्थियो से अवृत वाष्कल युद्ध में उतर पदा, पारिवारिक दैत्य हाथी और घोड़ों के अनेको सवारो के समुह से ग्यारह हुआ रथियो को साथ लाकर देवी जी के साथ युद्ध करने लगा, उस रंग आंगन में स्वयं महेशासुर भी हथियां, रथो, अश्वो की सेना से गिरा पड़ा था, तोमर, भिंडीपार, अश्वो, उसाल, परशु, पतिश आदि से युद्ध में देवी जी के साथ युद्ध करने के देवी जी ई शक्ति छोड़ी, जब चंडिका देवी ने अस्त्र शास्त्र की बारिश करके, उन्हें तोड़ डाला। इधर देवी जी का वहां क्रोध आ गया, अपने बगीचे के बाल हिलाता हुआ, दैत्य की सेना में इस प्रकार घुमने लगा जैसे कि जंगल में आग लग रही थी। हमसे युद्ध भूमि में युद्ध करती हुई अंबिका ने जितने स्वस छोड़े, वे ही झटपट सेकदो हजारो गनो के रूप में प्रकट हो गए। प्रकट होकर उन गणो ने खंगबिंदी पर पशु, और शस्त्रों से युद्ध आरम्भ कर दिया। देवी जी की शक्ति से वृद्धि करके वे गण दैत्यों का नाश करने लगे, साथ में दूसरे गण नगाड़े शंख आदि बजाने लगे। महेती प्रशांत देने वाले हमें युद्ध रूप उत्सव में कुछ एक ने मृदंक बजाया, तब देवी जी ने त्रिशूल, गदा और शक्तियों की वर्षा से तलवार आदि शास्त्रो से महान असुर मार डाले और दूसरे कितने ही दैत्यों को घंटे के मुर्जित कर के मार गिराया . दैत्यों को पास से बंद कर पृथ्वी पर गसीता, कितने थे गदा की चोट से घायल होकर पृथ्वी पर सो गए। पतंगे ही दैत्यो वानो की वर्षा द्वा युद्ध करते ही प्राण छोड़ने लग गए और कितने ही दैत्यों की भुजइयां कट गई। कई दैत्यो के सिर कट गए और पृथ्वी पर गिर गए। जहां युद्ध हो रहा था वहां की पृथ्वी लाशों से इतनी भर गई कि वहां पर आना जाना मुश्किल हो गया। वाहा सेना और दैत्यो के रुदिर बहने से रुदिर की बड़ी-बड़ी नदियां बहने लगी, जगदम्बा जी ने एक शान में दैत्यो की महती सेना का इस प्रकार नाश कर दिया। देवी जी के उगनो ने दैत्यो के साथ युद्ध किया जिसे देवता प्रसन्न होकर आकाश से फूलो की वर्षा करने लगे। बोलो माँ जगदम्बा की जय! माँ दुर्गा की जय! Jai Maa Brahmacharini ! Jai Maa Brahmacharini ! Jai Maa Brahmacharini !

Maa Brahmacharini
Maa Brahmacharini image | मां ब्रह्मचारिणी फोटो hd

Maa Brahmacharini ka mantra | माँ ब्रह्मचारिणी मंत्र | Maa Brahmacharini mantra in hindi | Maa Brahmacharini mantra | Maa Brahmacharini mantra lyrics

Maa Brahmacharini beej mantra | mantra for Maa Brahmacharini | Maa Brahmacharini dhyan mantra | Maa Brahmacharini puja mantra

 या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

दधाना कर पद्माभ्याम अक्षमाला कमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मई ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।

Maa Brahmacharini | मां ब्रह्मचारिणी
Maa Brahmacharini | मां ब्रह्मचारिणी

Maa Brahmcharini Puja vidhi | माँ ब्रह्मचारिणी पूजा विधि | Maa Brahmacharini puja | Maa Brahmacharini ki puja vidhi

नवरात्रि या किसी अन्य शुभ अवसर पर मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने के लिए भक्ति और कुछ अनुष्ठानों और दिशानिर्देशों का पालन करना आवश्यक है। यहां मां ब्रह्मचारिणी की मूल पूजा विधि दी गई है | आपको जिन वस्तुओं की आवश्यकता होगी:

  • माँ ब्रह्मचारिणी की एक तस्वीर या मूर्ति।
  • एक साफ़ वेदी या पूजा स्थान I
  • अगरबत्ती, कपूर और एक दीपक।
  • ताज़ा फूल।
  • कच्चा चावल और एक प्लेट I
  • चंदन का पेस्ट और कुमकुम (सिंदूर)।
  • फल, मिठाइयाँ और अन्य प्रसाद।
  • बाती के साथ एक दीया (तेल का दीपक)।
  • एक घंटी।
  • देवी के लिए सफेद या केसरिया रंग का वस्त्र।
  • एक नारियल I
  • एक बर्तन में पानी I

Pooja vidhi | माँ ब्रह्मचारिणी पूजा विधि

पूजा विधि:
1. शुद्धिकरण: स्नान करके या अपने हाथ और पैर धोकर खुद को शुद्ध करने से शुरुआत करें।

2. वेदी स्थापित करें: स्वच्छ वेदी पर मां ब्रह्मचारिणी की तस्वीर या मूर्ति रखें। वेदी को सफेद या केसरिया कपड़े से ढकें। दीपक जलाएं: दीया (तेल का दीपक) और अगरबत्ती जलाएं। आप कपूर जलाकर देवी को अर्पित भी कर सकते हैं।

3. आह्वान: देवी का ध्यान करते हुए मां ब्रह्मचारिणी को समर्पित मंत्रों या भजनों का जाप करें, जैसे “ओम देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः”। फूल चढ़ाएं: देवी को ताजे फूल चढ़ाएं। आप देवी को स्नान कराने के प्रतीक के रूप में मूर्ति पर थोड़ा पानी भी छिड़क सकते हैं।

4. चंदन और कुमकुम लगाएं: सम्मान और भक्ति के संकेत के रूप में मूर्ति पर चंदन का पेस्ट और कुमकुम लगाएं।

5. प्रसाद: मूर्ति के सामने कच्चे चावल की थाली रखें और उस पर फल, मिठाई और अन्य प्रसाद रखें।

6. घंटी बजाएं: भक्तिपूर्ण माहौल बनाने के लिए प्रार्थना या मंत्रों का जाप करते समय घंटी बजाएं।

7. आरती: देवी के सामने आरती (दीपक को गोलाकार घुमाने की रस्म) करें। प्रार्थनाएं और मंत्र: मां ब्रह्मचारिणी को समर्पित प्रार्थनाएं, मंत्र या स्तोत्र का पाठ करें। आप देवी की कथा या कहानी भी पढ़ सकते हैं।

8. नारियल चढ़ाना: प्रतीकात्मक प्रसाद के तौर पर देवी के सामने नारियल फोड़ें।

9. प्रसाद बांटें: पूजा के बाद प्रसाद अपने परिवार के सदस्यों और मेहमानों को बांटें।

10. ध्यान और चिंतन: शक्ति, ज्ञान और आंतरिक शांति के लिए मां ब्रह्मचारिणी का आशीर्वाद लेने के लिए ध्यान और चिंतन में कुछ समय बिताएं।

11. पूजा समाप्त करें: देवी को प्रणाम करके और अपनी भलाई और अपने परिवार और प्रियजनों की भलाई के लिए उनका आशीर्वाद मांगकर पूजा समाप्त करें।

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि हालांकि उपरोक्त पूजा विधि एक सामान्य रूपरेखा प्रदान करती है, विशिष्ट परंपराएं और रीति-रिवाज विभिन्न क्षेत्रों और समुदायों के बीच भिन्न हो सकते हैं। आप अपनी व्यक्तिगत प्राथमिकताओं और मान्यताओं के अनुरूप पूजा को अनुकूलित कर सकते हैं, लेकिन मुख्य बात यह है कि पूजा को ईमानदारी, भक्ति और शुद्ध हृदय से किया जाए।

माँ ब्रह्मचारिणी बीज मंत्र | Maa Brahmacharini jaap mantra

या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

Maa Brahmacharini shlok | Maa Brahmacharini Stotra

तपश्चारिणी त्वंहि तापत्रय निवारणीम्।
ब्रह्मरूपधरा ब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम्॥
शङ्करप्रिया त्वंहि भुक्ति-मुक्ति दायिनी।
शान्तिदा ज्ञानदा ब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम्॥

Tapashcharini Tvamhi Tapatraya Nivaranim।
Brahmarupadhara Brahmacharini Pranamamyaham॥
Shankarapriya Tvamhi Bhukti-Mukti Dayini।
Shantida Jnanada Brahmacharini Pranamamyaham॥

Maa Brahmacharini aarti | मां ब्रह्मचारिणी आरती | Maa Brahmacharini ji ki aarti | Maa Brahmacharini aarti in hindi | Maa Brahmacharini mata ki aarti

जय अंबे ब्रह्माचारिणी माता।
जय चतुरानन प्रिय सुख दाता।
ब्रह्मा जी के मन भाती हो।
ज्ञान सभी को सिखलाती हो।
ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा।
जिसको जपे सकल संसारा।
जय गायत्री वेद की माता।
जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता।
कमी कोई रहने न पाए।
कोई भी दुख सहने न पाए।
उसकी विरति रहे ठिकाने।
जो तेरी महिमा को जाने।
रुद्राक्ष की माला ले कर।
जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर।
आलस छोड़ करे गुणगाना।
मां तुम उसको सुख पहुंचाना।
ब्रह्माचारिणी तेरो नाम।
पूर्ण करो सब मेरे काम।
भक्त तेरे चरणों का पुजारी।
रखना लाज मेरी महतारी।

Maa Brahmacharini mantra in english

Om Devi Brahmacharinyai Namah

Maa Brahmacharini stuti in english | Maa Brahmacharini stuti | मां ब्रह्मचारिणी स्तुति

या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

Ya Devi Sarvabhuteshu Maa Brahmacharini Rupena Samsthita।
Namastasyai Namastasyai Namastasyai Namo Namah॥

Maa Brahmacharini wishes in hindi | मां ब्रह्मचारिणी शुभकामनायें | Maa Brahmacharini quotes in hindi

  1. माँ ब्रह्मचारिणी आपको आपकी आध्यात्मिक यात्रा में अटूट दृढ़ संकल्प और शक्ति प्रदान करें।
  2. माँ ब्रह्मचारिणी की दिव्य ऊर्जा आपको आत्म-साक्षात्कार और आंतरिक शांति की ओर मार्गदर्शन करे।
  3. इस शुभ अवसर पर माँ ब्रह्मचारिणी का आशीर्वाद आपके जीवन को पवित्रता और अनुशासन से भर दे।
  4. आपके मार्ग को रोशन करने के लिए माँ ब्रह्मचारिणी की दिव्य कृपा और बुद्धि की कामना करता हूँ।
  5. सत्य की खोज और माँ ब्रह्मचारिणी का आशीर्वाद आपको अधिक ज्ञान और आत्मज्ञान की ओर ले जाए।
  6. माँ ब्रह्मचारिणी की भक्ति और तपस्या आपको एक सदाचारी और सैद्धांतिक जीवन जीने के लिए प्रेरित करती है।
  7. जब आप मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करते हैं, तो आपको बाधाओं को दूर करने और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने की शक्ति मिलती है।
  8. माँ ब्रह्मचारिणी का दिव्य प्रेम और आशीर्वाद आपके जीवन को शांति और शांति से भर दे।
  9. इस नवरात्रि पर, माँ ब्रह्मचारिणी आपको अच्छे स्वास्थ्य, सुख और समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करें।
  10. माँ ब्रह्मचारिणी की कृपा और सुरक्षा से भरपूर, आपको हार्दिक शुभकामनाएँ।
  11. माँ ब्रह्मचारिणी से आपकी प्रार्थनाएँ स्वीकार की जाएँ और उनकी दिव्य कृपा से आपकी मनोकामनाएँ पूरी हों।
  12. जैसे ही आप माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा करते हैं, आपका दिल और आत्मा उनकी दिव्य उपस्थिति और आशीर्वाद से भर जाए।

    माँ ब्रह्मचारिणी के प्रति अपनी श्रद्धा और भक्ति व्यक्त करने और नवरात्रि उत्सव के दौरान या उनकी पूजा करते समय परिवार और दोस्तों को अपनी शुभकामनाएँ देने के लिए इन शुभकामनाओं और शुभकामनाओं का उपयोग करने में संकोच न करें।
Maa Brahmacharini | मां ब्रह्मचारिणी
Maa Brahmacharini photo | मां ब्रह्मचारिणी फोटो hd

Maa Brahmacharini wishes in english | Maa Brahmacharini quotes in english | Maa Brahmacharini status

  1. May Maa Brahmacharini bless you with unwavering determination and strength on your spiritual journey.
  2. May the divine energy of Maa Brahmacharini guide you towards self-realization and inner peace.
  3. On this auspicious occasion, may Maa Brahmacharini’s blessings fill your life with purity and discipline.
  4. Wishing you the divine grace and wisdom of Maa Brahmacharini to illuminate your path.
  5. May the pursuit of truth and the blessings of Maa Brahmacharini lead you to greater knowledge and enlightenment.
  6. May Maa Brahmacharini’s devotion and penance inspire you to lead a virtuous and principled life.
  7. As you worship Maa Brahmacharini, may you find the strength to overcome obstacles and achieve your goals.
  8. May Maa Brahmacharini’s divine love and blessings fill your life with peace and serenity.
  9. On this Navratri, may Maa Brahmacharini shower you with her blessings for good health, happiness, and prosperity.
  10. Wishing you a blessed Navratri, filled with the grace and protection of Maa Brahmacharini.
  11. May your prayers to Maa Brahmacharini be answered, and your wishes fulfilled with her divine grace.
  12. As you venerate Maa Brahmacharini, may your heart and soul be filled with her divine presence and blessings.

Feel free to use these wishes and greetings to convey your reverence and devotion to Maa Brahmacharini and to extend your best wishes to family and friends during the Navratri festival or when performing her puja.

Maa Brahmacharini wishes in sanskrit

  1. आपकी माँ ब्रह्मचारिणी की आशीर्वाद सदैव आपके साथ हो। (Āpki mā bʿʿhmacāriṇī kī āśīrvād saḍaiv āpke sāth ho.)
  2. मां ब्रह्मचारिणी की कृपा से आपका मार्ग प्रशस्त हो। (Mām bʿʿhmacāriṇī kī kr̥pā se āpka mārga praśasta ho.)
  3. मां ब्रह्मचारिणी आपके जीवन को शांति और ज्ञान से भर दें। (Mām bʿʿhmacāriṇī āpke jīvana ko śānti aura jñāna se bhara deṁ.)
  4. मां ब्रह्मचारिणी के आशीर्वाद से आपका मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य सदा अच्छा रहे। (Mām bʿʿhmacāriṇī ke āśīrvād se āpka mānasika aura śārīrika svāstha sadā acchā rahe.)
  5. मां ब्रह्मचारिणी से आपका अध्यात्मिक साधना में सफलता मिले। (Mām bʿʿhmacāriṇī se āpka adhyātmika sādhanā meṁ saphalatā mile.)
  6. मां ब्रह्मचारिणी की आराधना से आपके मन को शांति और सान्त्वना मिले। (Mām bʿʿhmacāriṇī kī ārādhana se āpke man ko śānti aura sāntvanā mile.)
  7. ब्रह्मचारिणी माता की कृपा आपके जीवन को सफलता से भर दे। (Bʿʿhmacāriṇī mātā kī kr̥pā āpke jīvana ko saphalatā se bhara de.)
  8. आपके जीवन को शुद्धता और आत्म-नियम से भर दें मां ब्रह्मचारिणी के आशीर्वाद से। (Āpke jīvana ko śuddhatā aura ātma-niyama se bhara deṁ mām bʿʿhmacāriṇī ke āśīrvād se.)
  9. मां ब्रह्मचारिणी की आराधना से आपके जीवन को प्रेम और शांति से भर दें। (Mām bʿʿhmacāriṇī kī ārādhana se āpke jīvana ko prema aura śānti se bhara de.)
  10. आपके दिल और आत्मा में मां ब्रह्मचारिणी की आशीर्वाद और प्रासंगिकता हो। (Āpke dil aura ātmā meṁ mām bʿʿhmacāriṇī kī āśīrvād aura prāsaṁgikatā ho.)

These wishes are meant to convey your reverence and devotion to Maa Brahmacharini and to seek her blessings for various aspects of life, including spiritual growth, peace, and well-being.

Maa Brahmacharini chalisa | माँ ब्रह्मचारिणी चालीसा

दोहा

कोटि कोटि नमन मात पिता को, जिसने दिया ये शरीर।

बलिहारी जाऊँ गुरू देव ने, दिया हरि भजन में सीर।।

स्तुति

चन्द्र तपे सूरज तपे, और तपे आकाश ।

इन सब से बढकर तपे,माताऒ का सुप्रकाश ।।

मेरा अपना कुछ नहीं, जो कुछ है सो तेरा ।

तेरा तुझको अर्पण, क्या लागे मेरा ॥

पद्म कमण्डल अक्ष, कर ब्रह्मचारिणी रूप ।

हंस वाहिनी कृपा करो, पडू नहीं भव कूप ॥

जय जय श्री ब्रह्माणी, सत्य पुंज आधार ।

चरण कमल धरि ध्यान में, प्रणबहुँ माँ बारम्बार ॥

जय जय जग मात ब्रह्माणी, भक्ति मुक्ति विश्व कल्याणी।

वीणा पुस्तक कर में सोहे, शारदा सब जग सोहे ।।

हँस वाहिनी जय जग माता, भक्त जनन की हो सुख दाता।

ब्रह्माणी ब्रह्मा लोक से आई, मात लोक की करो सहाई।।

क्षीर सिन्धु में प्रकटी जब ही, देवों ने जय बोली तब ही।

चतुर्दश रतनों में मानी, अद॒भुत माया वेद बखानी।।

चार वेद षट शास्त्र कि गाथा, शिव ब्रह्मा कोई पार न पाता।

आदि शक्ति अवतार भवानी, भक्त जनों की मां कल्याणी।।

जब−जब पाप बढे अति भारी, माता शस्त्र कर में धारी।

पाप विनाशिनी तू जगदम्बा, धर्म हेतु ना करी विलम्बा।।

नमो: नमो: ब्रह्मी सुखकारी, ब्रह्मा विष्णु शिव तोहे मानी।

तेरी लीला अजब निराली, सहाय करो माँ पल्लू वाली।।

दुःख चिन्ता सब बाधा हरणी, अमंगल में मंगल करणी।

अन्न पूरणा हो अन्न की दाता, सब जग पालन करती माता।।

सर्व व्यापिनी असंख्या रूपा, तो कृपा से टरता भव कूपा।

चंद्र बिंब आनन सुखकारी, अक्ष माल युत हंस सवारी।।

पवन पुत्र की करी सहाई, लंक जार अनल सित लाई।

कोप किया दश कन्ध पे भारी, कुटुम्ब संहारा सेना भारी।।

तु ही मात विधी हरि हर देवा, सुर नर मुनी सब करते सेवा।

देव दानव का हुआ सम्वादा, मारे पापी मेटी बाधा।।

श्री नारायण अंग समाई, मोहनी रूप धरा तू माई।।

देव दैत्यों की पंक्ति बनाई, देवों को मां सुधा पिलाई।।

चतुराई कर के महा माई, असुरों को तू दिया मिटाई।

नौ खण्ङ मांही नेजा फरके, भागे दुष्ट अधम जन डर के।।

तेरह सौ पेंसठ की साला, आस्विन मास पख उजियाला।

रवि सुत बार अष्टमी ज्वाला, हंस आरूढ कर लेकर भाला।।

नगर कोट से किया पयाना, पल्लू कोट भया अस्थाना।

चौसठ योगिनी बावन बीरा, संग में ले आई रणधीरा।।

बैठ भवन में न्याय चुकाणी, द्वारपाल सादुल अगवाणी।

सांझ सवेरे बजे नगारा, उठता भक्तों का जयकारा।।

मढ़ के बीच खड़ी मां ब्रह्माणी, सुन्दर छवि होंठो की लाली ।

पास में बैठी मां वीणा वाली, उतरी मढ़ बैठी महाकाली ।।

लाल ध्वजा तेरे मंदिर फरके, मन हर्षाता दर्शन करके।

दूर दूर से आते रेला, चैत आसोज में लगता मेला।।

कोई संग में, कोई अकेला, जयकारो का देता हेला।

कंचन कलश शोभा दे भारी, दिव्य पताका चमके न्यारी।।

सीस झुका जन श्रद्धा देते, आशीष से झोली भर लेते।

तीन लोकों की करता भरता, नाम लिए सब कारज सरता ।।

मुझ बालक पे कृपा कीज्यो, भुल चूक सब माफी दीज्यो।

मन्द मति जय दास तुम्हारा, दो मां अपनी भक्ती अपारा ।।

जब लगि जिऊ दया फल पाऊं, तुम्हरो जस मैं सदा सुनाऊं।

श्री ब्रह्माणी चालीसा जो कोई गावे, सब सुख भोग परम सुख पावे ।।

दोहा

राग द्वेष में लिप्त मन, मैं कुटिल बुद्धि अज्ञान ।

भव से पार करो मातेश्वरी, अपना अनुगत जान ॥

Maa Brahmacharini favourite colour ? Maa Brahmacharini color.

Maa Brahmacharini favourite colour is white. Maa Brahmacharini color is white.

Who is Maa Brahmacharini ?

Maa Brahmacharini is the second form of Maa Durga. मां ब्रह्मचारिणी मां दुर्गा का नव शक्ति का दूसरा स्वरूप है।

Maa Brahmacharini kon hai ?

मां ब्रह्मचारिणी मां दुर्गा का नव शक्ति का दूसरा स्वरूप है।

How to worship Maa Brahmacharini ?

To worship Maa Brahmacharini, one should take bath and get cleaned, and worship Maa Brahmacharini with jasmine flowers and bhog and prasad. Do aarti and mantra jaap.

Maa Brahmacharini ko kya bhog lagaye ?

Maa Brahmacharini ko dood, mishri aur panchamrit ka bhog lagaye.

1 thought on “Maa Brahmacharini | second day of Navratri 2023 – dusra Navratri 2023 ”

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